लाला रमणलाल की लंडलीला : बन्दना और उसकी बहन को एक

पचपन बरस के लाला रमणलाल की लीला के कारण मुझे उनके लिए कमसिन छोरी का इंतजाम करना ही पड़ा । वजह ये रही की उन्होने मेरे लिए एक 18 बरस का छोकरा भेजा । वो छोरा अपनी उम्र से काफी कम नजर आता था, और इस से मैं कामोत्तेजित हो उसके साथ रंगरेलियाँ करने लगी। उसने इस से पहले किसी लड़की या औरत की चूत के दर्शन नहीं किए, ना ही चुम्मा लिया था । लेकिन जब मैंने उसे प्यार से अपने तन-बदन पर चढ़ाया तो उसका लंड देख मैं निहाल हो गयी।कमसिन होते हुये भी उसका लंड लंबा था; और जब उसने मेरे मोटे-मोटे मम्मे देखे तो वो उन्हें चूँसने लगा जैसे मैं उसकी माँ होऊँ।लेकिन जब उसका लौड़ा मैंने अपनी चूत मे पेला तो वो ज्यादा देर ठहर नहीं सका। बात ये थी की उसका ये पहली बार था । जो हो मैं लाला की आभारी थी की उसने मेरे लिए एक कम उम्र नमकीन छोकरा भेजा ।
लाला ने पिछली बार सत्रह साल की बन्दना को मजे ले-ले के चोदा था। लाला ने इस से पहले कई छोकरियाँ चोद रखी थी पर जो स्वाद उसे बन्दना से मिला वो वह भूल नहीं पाया। उधर बन्दना की ये पहली चुदाई थी, और उसे भी लाला के लंड का चस्का लग चुका था। एक दिन बन्दना ने चला कर कहा कि ' अंकल कैसे हैं ? '; मैंने हंस कर पूछा, ' क्या तू फिर उनसे चुदना चाहती है?' तो वो बोली , '' हाँ ,उनका लंड बहुत मोटा और कठोर था जिस से मुझे पूरी तृप्ति हुयी और मजा आया । काश, अंकल एक बार मुझे और चोद ले !'मैंने जवाब दिया, 'ठीक है, मैं उनसे बात करती हूँ '। ठीक उसी दिन लाला ने मुझसे फिर पूछा कि कोई कमसिन छोरी लाओ तो उसे चोदने का मजा लूँ। मुझे मुन्नी-जेसी छोकरी ला दो ना, रानी!' उस समय मेरा ध्यान बन्दना की छोटी बहन नीना उर्फ निन्नी पर गया। निन्नी 15 बरस की थी , और मिनी स्कर्ट में तो वो और भी कम उम्र की लगती थी । इसलिए मैंने बन्दना को राजी किया कि वो अपनी लाड़ली छोटी बहन को भी अपने साथ ले चले । मैंने कहा --- देख,इस से तेरा भी मजा बढ़ जाएगा और अंकल का भी। अंकल पहले तुझे चोदेंगे, और फिर निन्नी को। और फिर तुम दोनों को एक साथ । इस खेल मे मैं भी तुम्हारा साथ दूँगी। जब ये बात वो मान गयी तो मैंने लाला को बता दिया कि माल तैयार है, इस बार दो कमसिन कन्याएँ हैं , मगर शर्त एक ये भी है कि आप भी मुझे दो मुस्टंडे मर्दों से चुदवाएं। 'मतलब ?', लाला ने पूछा ; मैंने कहा, 'मतलब ये कि आप, और दो और मुस्टंडे मर्द मिलकर मेरी जबर जवानी में 3 लंड घुसेड़ -घुसेड़ मजा दे और मजा ले' । अंकल हँसते हुये बोले, 'मैं तो नहीं पर मेरे ध्यान में 3 मुस्टंडे मर्द हैं जो तेरी चूत निचोड़ कर ही दम लेंगे' । ये शाम की बात थी, उसी रात लाला मुझे अपनी बीबी बना कर एक जगह ले गया। कोई जुआखाना था जहां तीन मुस्टंडे मर्द जुआ जीत कर निकल रहे थे। उनकी उम्र तो लाला से भी बड़ी थी पर वो लाला से कहीं ज्यादा हट्टेकट्टे थे, समझो पहलवान। तीनों 58-59 के तो थे ही पर उनका चेहरा लाल था, और शक्ल से वासना साफ टपक रही थी। '' तेरी बीबी है ये ?'' '' हाँ, वादा था कि हार का पैसा चुकाने अपनी बीबी आपकी खिदमत में पेश करूंगा'' । '' वाह, तू तो सच्चा पति है ,नाम क्या है तेरी पत्नी का? '' लाला ने कहा-- 'कांता'। ' '' ठीक है, डेरे चलते हैं '। हम पांचों उनके डेरे पहुंचे जो कि शहर से दूर उजाड़ में एक फ़ार्महाउस था ।वहाँ हम सबने दारू पी, नफीस, अफगानिस्तान की। उन मर्दों में से एक जो मुल्ला था वो अफगानिस्तान का पठान था, दूसरे दो और थे जिनमें एक सिक्ख सरदार जी था और दूसरा ठाकुर भैरों सिंह हिन्दू था । अफगानिस्तान के पठान का नाम अब्दुल-नाजर-खान था , जो कि 59 बरस का था। बाकी दोनों 58 के थे। सरदार जी का नाम करारा सिंह था। पहल अब्दुल-नाजर-खान ने की , वो लाला से बोला, 'चल, अपनी बीबी को हमारे मजे के लिए नंगी कर, देखें कैसा माल है ।' लाला ने मेरी साड़ी उतारनी शुरू की, फिर ब्लाउज ; फिर ब्रा। ब्रा खुलते ही मेरे मम्मों के कबूतर तीनों को दिखे, सरदार करारा सिंह ने चस्का लेते हुये कहा, ''वाह, क्या मम्मे है, मोटे-ताजे ; और ये तनी हुयी चूँची !' अब लाला ने मेरा पेटीकोट उतारना शुरू किया, पहले पैरों के ऊपरसे से ऊंचा उठाया फिर नाड़ा खोल मुझे फुल नंगी कर डाला। मैंने अपने दोनों हाथों से चू त ढक ली । अब ठाकुर भैरों सिंह ने ललकार भरी और लाला से कहा-- ' लाला तू जा ! इसे अच्छी तरह से जी भर कर चोदने के बाद सुबह तेरे घर पहुंचा देंगे, समझा, तू जा ! !' तब लाला मुझे इन मुस्टंडों की हवश के लिए छोड़ चलता बना। लाला के जाते ही अब्दुल-नाजर-खान ने मुझे पकड़ लिया और अपनी गोद मे बैठा लिया , उसके साथ ही दो दूसरे मुस्टंडे मेरे अगल-बगल हो गए। पथान नाजर खान का मोटा-तगड़ा लंड तो ठीक मेरी गांड के छेद से भिड़ गया और सरदार जी ने मेरे मम्मे -चूँची और ठाकुर साहब ने मेरी चूत को हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया। तीनों बारी -बारी अश्लील ढंग से मेरे गाल चूमने व काटने लगे। हाये , इसी वक्त नाजर खान पठान का वहशी झांटदार लौड़ा मेरी गांड मे सरकने लगा। वो बोला, तूने पहले किसी से गांड मरवाई या नहीं ? मैं चुप रही, और पठान का लंड मेरी गांड मे आगे बढ्ने लगा। साथ मेँ ठाकुर और सरदार भी मेरी गांड के गोलकों को छेड़ और नोंच रहे थे। अब पठान का लंड पूरा 8 इंच मेरी गांड मे जा चुका था और वो जम कर मेरी गांड मार रहा था। जबकि सरदार और ठाकुर साहब मेरी गांड से अभी भी छेड़खानी कर रहे थे। पठान उनसे मुस्करा कर बोला, 'तुम लोग आगे लगो, मुझे इसकी जम कर गांड़ मारना है। ' तब सरदार ने मेरी चूँची को मुंह मे भरा और उस पर दाँत गड़ा दिये। ठाकुर साहब जी ने मेरी चूत को झिंझोड़ना और हथेली से पीटना शुरू किया; फिर चूत की भीतरी झिल्ली मे नाखून चुभोए। फिर ठाकुर और पठान दोनों मुझे एकसाथ चोदने लगे ---- एक पीछे से, दूसरा आगे से। सरदार करारा सिंह ने भी आव देखा न ताव , भक से मेरे मुंह मेँ अपना लौड़ा घुसेड़ दिया। इन तीनों ने मुझे रात भर चोदा । इनमें से हरेक ने तीन बार मेरी गांड मारी और तीन से ज्यादा बार मेरी चूत बजाई।
सुबह ये मुझे लाला के घर छोड़ गए। मैं दोपहर तक तरोताजा हो गयी थी । मेरा लाला से वादा था कि मैं बंदना और निन्नी को को लेकर आऊँ ताकि वो इन दो कमसिन छोरियों को रगड़-रगड़ कर कुत्सित मजा ले सके।
आज बंदना भी मिनी स्कर्ट-टॉप्स मेँ थी , और निन्नी के तो क्या कहने ! उसने अपने हाथ मेँ एक गुड़िया ले रखी थी , जिसे उसने छाती से चिपटा रखा था, दूसरे हाथ से वो एक लोल्लीपॉप चाट रही थी। टाइट मिनी स्कर्ट मेँ उसकी नन्ही गांड के करारे व कसे हुये उभार साफ दिख रहे थे। उसकी छातियाँ/ boobs बहुत ही कम उभार के थे , एकदम बच्ची-जैसे !बंदना ने भी स्कर्ट पहना था, मगर टॉप्स के भीतर ब्रा ना होने से उसके मम्मों के कबूतर उड़ने को बेताब थे। उसके हाथ बार-बार अपनी जांघों की दरार पर जाते जैसे वो भीतर कुछ खुजला रही हो। साथ ही वो निन्नी के गालों को सहला या चिकोटी काट मस्ती भी कर रही थी। लाला को चुददी लेने के लिए आज अच्छा माल मिल रहा था। नन्ही- मुन्नी निन्नी की 'फुद्दी' ।
जब मैं ये कच्चा माल लेकर लाला के पास पहुंची वो बहुत खुश था। उसने हमेशा की तरह धोती-कुर्ता पहना था पर आज धोती के भीतर 'undeerwear' नहीं पहना था। जैसे ही कमसिन बंदना और मासूम निन्नी वहाँ पहुंची उनकी जवानी की खुशबू सूंघ कर और ताजगी छू कर उसका बदन सेक्स की आंच से गरम होने लगा। दो-दो कबूतरियाँ--- एकसाथ ! लाला की बांछे खिल गयी ! !
पहले लाला ने बंदना को गले लगाया और चुम्मी मारी ; कहा: '' कैसी हो, बन्दना बिटिया, मेरी प्यारी मुन्नी !'' ' ठीक हूँ , अंकल ; आपकी याद आई , वो आप 'प्यार' कितना अच्छा जो करते हो !' लाला ने बंदना के गाल सहलाते हुये कहा, ' वो तो तुम हो ही मीठे प्यार के काबिल , मेरी गुड्डी ! ये कहते-कहते लाला ने बंदना को अपनी गोद मे बैठा लिया । लाला उसके शरीर पर इधर-उधर हाथ फेरने लगे ; लाला पूरी मस्ती में थे और उनकी जीभ निननी की मासूमियत देख लपलपा रही थी। निन्नी बस बंदना के पास खड़ी थी , अलबता उसका एक हाथ लाला की जांघ से छू गया। लाला को जैसे करेंट लगा , उसने अपनी मोटी जांघ निन्नी की ओर सरकायी और बोले, '' गुड्डी, तुम भी अंकल की गोद में बैठो ''। बन्दना एक ओर सरक गयी जिस से निन्नी के बैठने की जगह बन गयी ।अब लाला की एक जांघ पर बन्दना और दूसरी पर निन्नी बैठी हुयी थी , और लाला एकसाथ दो कन्याओं के बदन की कोमलता और सेक्स की ताजगी महसूस कर रहा था। आहा ! निन्नी कितनी मासूम थी किभोलेपन में उसका एक हाथ ठीक लाला के उस भाग पर पड़ा जहां पुरुष का गुप्तांग होता है। चूंकि लाला ने भीतर अंडर वियर नहीं पहन रखा था मासूम निन्नी का हाथ लाला की धोती से झाँकते नग्न लंड पर अनजाने ही पड़ गया , जिसे कि उसने हल्के से पकड़ लिया और अपनी बड़ी बहन से बोली: '' ये अंकल का ''क्या'' है ?''बन्दना ने हँसते हुये कहा, '' ये अंकल ने हमारे खेलने की चीज रख रखी है , अभी देखना, अंकल मेरे साथ खेल खेलेंगे, तो इस से मजा मिलेगा'। '' फिर भी निन्नी लाला से सीधे पूछ बैठी, '' अंकल, ये, ये ''क्या'' है ?'' लाला बोले, '' ये लोल्लीपोप है, मीठा-मीठा। ''
निन्नी की मासूम अदाओं व अनोखी बातचीत से लाला कि वासना भड़क उठी और उसने बन्दना को नंगी करना शुरू किया, लाला का खयाल था कि एक बार निन्नी के सामने उसने बन्दना को चोद लिया तो निन्नी की कच्ची चूत 'लेने' मे आसानी हो जाएगी। पहले लाला ने बन्दना की जांघों मे हाथ दल उसकी भीतर पहन राखी 'चड्डी' टटोली ; फिर स्कर्ट उतार दिया। वो बन्दना के मम्मों को नंगा करने के बाद उसे चूँसने लगे, जिस पर बन्दना 'आह, ऊह ' कर सिसकारियाँ छोडने लगी। फिर लाला ने बन्दना को नीचे से भी नंगी कर दिया , यानी कि उसकी कमसिन चूत लाला को खुल्ली दीखने लगी, और निन्नी ने भी अपनी बहन की नंगी चूत देख ली।बन्दना ने निननी को हंस कर कहा, ''देख, मैं अंकल का लोल्लीपोप चूँस मजा ले रही''। उसके मुंह मे ले चूँसने से लाला का लंड और ज्यादा बड़ा हो गया , अब लाला ने बंदन की चूत की फांक छेड़नी शुरू की , और मौका देख बन्दना कि कमसिन चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया। लाला अपनी गांड उछाल -उछाल बन्दना की फुद्दी में लौड़ा पेल रहा था। और वो छोरी सिसकारियाँ भर रही थी। लाला ने जब देखा कि अपनी बहन की चुदाई देख निन्नी भी गरम हो गयी है तो उसने निन्नी को भी संग कर उस की शरम को मादरजात नंगी कर दिया। लाला ने जीभ निकाली और निन्नी की मासूम योनि चाटने लगा। आहा, क्या मजा आया, कि वो उसकी चूत मारने को लंड उसकी नन्ही गांड की तरफ से ले बालिका की मृदुल चूत मे घप्प-घप्प पेलने लगा। लाला बारी-बारी दोनों को चोद मजा लेता जा रहा था। अब तो निन्नी को भी लाला के लंड का मजा आने लगा। जब लाला इन दोनों छोकरियों को बल्कि कहिए कमसिन कलियों को मसल-रगड़ चुका तब उसने एक पाप और किया। उसने निन्नी के सामने ही बन्दना की गांड मारी। ओह, क्या अश्लील नजारा था !


Publicerad av lustymom
7 år sedan
Kommentarer
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anmolraghav 7 år sedan
Tumhari gaand kaisi meri lustymom. apni gaand kipic to dikha do mujhe bhi mature gaand or chut marne main maja aata hai.
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anmolraghav 7 år sedan
wow very hot story. maaja aa gya lustymom
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