बीवी की बड़े लंड की चाहत

मेरी शादी करीब 6 साल पहले हुई थी। मेरी पत्नी का नाम कांची है, उसके साथ मेरी अच्छी पटती है।

शादी के बाद के 6 साल में हमने एक बच्चा पैदा किया है जिसकी उम्र अभी करीब दो साल है।
मैं अपनी पत्नी के साथ महीने में करीब 15 बार सेक्स करता हूँ मेरी पत्नी भी मेरा बराबर साथ देती है। हम अपनी लाइफ से संतुष्ट हैं या शायद थे।

बात करीब 6 महीने पुरानी है। जिस शहर में मेरी दुकान थी वहाँ ज्यादा कमाई नहीं थी और खर्चा ज्यादा तो दुकान पास के किसी गांव में शिफ्ट करनी पड़ी और बीवी के साथ वहीं रहने लगा।
कांची भी गांव में ही पली बढ़ी है तो सेट होने में ज्यादा दिक्तत भी नहीं हुई।

जल्दी ही आस पड़ोस की हमउम्र महिलाएं उसकी सहेलियाँ बन गयी। परिवार छोटा होने व घर का ज्यादा काम न होने की वजह से कांची समय बिताने आस पड़ोस में चली जाती। हमउम्र होने के कारण हर तरह की बातें होती। बातों बातों में कभी सेक्स का जायका भी लेती।

यहीं से मेरी कहानी शुरू होती है. दरअसल मेरा लिंग थोड़ा कम मोटा और लंबा है. हम सेक्स तो करते और संतुष्ट भी थे पर जो बातें औरतों के बीच होती, उस लिहाज़ से मेरी पत्नी थोड़ा कम संतुष्ट थी और उसको सेक्स का असली रूप ही उसे उस मंडली से पता चला था।
अब हमारे बीच सेक्स तो होता पर वो आनन्द नहीं रहा। सेक्स तो वो मेरे साथ करती पर दिमाग में पड़ोसी रहते!

अब मुझे भी खुद पर यकीन नहीं रहा और तरह तरह की सेक्स वर्धक टेबलेट लेने लगा। मेरे मन में भी अपनी पत्नी को परमआनन्द दिलवाने के ख्याल आते।

एक दिन मैं अपनी पत्नी को पूरी नंगी करके चोद रहा था तो फिर से वो उसी लय में बात करने लगी. तो मैंने भी उसका दिल रखने के लिए बड़ा लंड दिलवाने का वादा कर लिया।

अब मेरी कांची ने बात पकड़ ली। अन्तर्वासना के किस्से पढ़कर मुझे भी अपनी कांची को किसी दमदार मर्द से चुदवाने का चाव तो लग ही गया था. पर यह संभव कैसे हो … बस उसका कोई आईडिया दिमाग में आ ही नहीं रहा था।

इसका हल भी मेरी पत्नी ने ही निकाला.

दरअसल मेरा एक खास फ्रेंड था रॉकी. उसकी पत्नी मेरी पत्नी की भी सहेली थी। वो दोनों कई बार सेक्स सम्बन्धी बातें करती थी तो रॉकी की बीवी ने उसे रॉकी के सामान के बारे में बताया था।
अब मेरी पत्नी और मैंने रॉकी को ही अपना टारगेट बनाया।

हम चारों ने किसी हिल स्टेशन घूमने का प्लान बनाया। पर रॉकी को अपना प्लान नहीं बताया। हमने उदयपुर, चितौड़ आदि जगह होते हुए माउंटआबू रुकने व घूमने का प्रोग्राम बनाया।

हम सब तय समय पर रॉकी की गाड़ी लेकर निकल पड़े घूमने को। उदयपुर, चितौड़ गढ़ में घूमने में पूरा दिन निकल गया और इस बीच मेरी पत्नी ने रॉकी से नजदीकियां बढाने की शुरुआत कर ही दी।
अब जब सेक्स की सामने से दावत मिल रही हो तो कोई मर्द कैसे पीछे रह सकता है। मेरी कांची और रॉकी की सेटिंग तो हो गयी पर प्रॉब्लम रॉकी की वाईफ बन रही थी।

जब उदयपुर रात्री विश्राम को रुके तो मेरी पत्नी ने बड़ी खुशी से मुझे अपना और रॉकी का मामला बताया ओर आगे की योजना बनाने लगे।

उस दिन कई दिनों बाद मेरी कांची को चोदने में हम दोनों को सुकून मिला।

दूसरे दिन सवेरे उठते ही रॉकी मेरे रूम में आया और कांची को गुड मॉर्निंग बोला. तो मैंने झट से कह दिया- अब दोस्त को भूल कर भाभी को मोर्निंग विश?
वो झेंप गया पर मेरी कांची ने बात संभालते हुए बोली- दोस्त को रोज सुप्रभात कहते ही हैं, मैं तो आज ही साथ हूँ।
इस तरह हम उदयपुर से निकलकर माउंट आबू के लिए निकल लिए।

गाड़ी रॉकी ड्राइव कर रहा था तो उसकी पत्नी उसके पास वाली सीट पर बैठी थी, कुछ दूर जाकर मैंने जानबूझकर रॉकी से कहा- तुम थक गए होंगे तो ड्राइव में कर लेता हूँ।

अब रॉकी पीछे की सीट पर आ गया और मैं ड्राइव करने लगा। रॉकी की पत्नी मेरे बगल में बैठी थी और मेरी पत्नी रॉकी के साथ। मैं उनकी हरकतें दर्पण से देख रहा था और मन ही मन खुश भी हो रहा था कि हमारा आईडिया काम कर रहा है।

इस तरह करीब 11 बजे हम माउंटआबू पहुँचे। होटल पहले से ही बुक था, हम अपने अपने रूम में गए।
आज मेरी कांची बहुत खुश लग रही थी।

रूम में जाते ही कांची ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी नंगा कर दिया। फिर हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गयी। बाथरूम में शावर के नीचे नहाते हुए दोनों ने एक दूसरे को खूब मसला। दोनों के नंगे बदन ऐसे रगड़ रहे थे जैसे चक्की के दो पाट। आज कई दिनों बाद मेरा लंड भी फुल साइज में खड़ा था और कांची उसे अपनी चूत में लेने के लिए तड़फ रही थी।

उस टाइम हम दोनों ने हर आसन में चुसाई से चुदाई तक भरपूर सेक्स किया। उस दिन की चुदाई के बाद तो कांची भी कह उठी- हमेशा ऐसी चुदाई करते तो आज ये सब करना ही नहीं पड़ता.
पर यह जोश किसी के हाथ में तो होता नहीं।

नहा धोकर जब बाहर निकले तो रॉकी बाहर ही इंतज़ार कर रहा था, वो झट से बोल उठा- आज तो बड़ी देर लगा दी नहाते हुए?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं, थकान की वजह से जरा आंख लग गयी थी।

अब हम माउंट आबू में होटल से बाहर निकले और रेस्टोरेंट में खाना खाया. उस दौरान कांची और रॉकी आमने सामने बैठे और टेबल के नीचे से एक दूसरे के पैर रगड़ने लगे।
रॉकी की वाइफ तो खाने में मग्न थी पर मेरा पूरा ध्यान उनकी हरकतों पर था। मैंने कांची के सामने देखा तो वो मुस्करा रही थी।

खाना खाकर हम वही आस पास मार्केट में घूमने निकले।

घूमते घूमते रॉकी का पैर एकदम से मुड़ गया और वो मोच खा बैठा। बाद में कांची ने बताया कि वो जान बूझकर किया गया नाटक था।
होटल पास ही में था तो हम किसी तरह सहारा देकर रॉकी को रूम पर ले आये और उसी के रूम में बैठ कर गप्पें लगाने लगे।

रॉकी की पत्नी थोड़ा अपसेट लग रही थी। जब हमने पूछा तो रुआँसी होकर बोली- आबू घूमने का कितना मन था पर अब घूम ही नहीं पाऊंगी।
रॉकी बोला- क्यों नहीं घूम पाओगी? कांची भाभी और भाईसाब के साथ घूम आओ।
“तो फिर आपका ख्याल कौन रखेगा?” रॉकी की वाईफ ने पूछा।

तो मैं बोला- आप और कांची चले जाओ, रॉकी का खयाल में रख लूंगा.
पर बात यहाँ भी नहीं बनी क्योंकि कांची अकेले औरतों के जाने से डर रही थी या बहाना बना रही थी.

तो अब तय हुआ कि मैं रॉकी की वाईफ को घुमा के आऊंगा और कांची रॉकी का ख्याल रखेगी।
यह हम तीनों के मन की मुराद पूरी होती दिख रही थी।

मैं और रॉकी की वाईफ लक्खी लेक और अन्य जगह घूमने निकल गए।

अब आगे की कहानी कांची की जुबानी।
जैसे ही प्रभात और भाभी जी बाहर निकले, मैं भी उन्हें रिक्शा में बैठाने उनके पीछे पीछे गयी।
जैसे ही वो रवाना हुए, मेरे पति प्रभात ने मुझे आंख मारकर बेस्ट ऑफ लक बोला। सामने से मैंने भी उसे आँख मार कर रिप्लाई किया।

मैं जल्दी से अपने रूम में आई और जल्दी से पारदर्शी नाइटी पहनी और चुदवाने की उतावल में रॉकी के रूम में पहुंच गई।
रॉकी तो जैसे मेरी राह ही तक रहा था। उसने अपने ऊपर के कपड़े तो पहले ही फेंक दिए थे। मुझे देखते ही दरवाजे की तरफ लपक पड़ा जैसे मेरी अगवानी करने आया हो।
मैं भी जाकर सीधा उसके गले से लिपट गयी।

रॉकी मेरी पीठ को सहलाने लगा और पीछे से मुझे दबाने लगा जिससे मेरे नर्म गद्देदार चुचे उसके मर्दाने सीने में चुभने लगे। मैंने भी उसे पूरी आजादी दे दी थी। अब ना मैं सहन कर पा रही थी, ना रॉकी के बस में था अपने को रोकना।

उसने जल्दी ही मेरा गाउन और ब्रा पेंटी मुझसे अलग कर दिए। मैंने भी उसके जिस्म पर बचे अंडरवियर से उसके लंड को आजाद कर दिया। उसका मूसल लन्ड किसी सांप की भांति फुंफकार रहा था।
उसका लन्ड देखते ही मेरे जिस्म में आग भर गई। मैंने उसका लण्ड हाथ में लिया और सहलाने लगी। रॉकी का लंड 8 इंच से तो ऊपर ही था ओर मोटा भी मेरे मन माफ़िक़।

मैं लन्ड को सहला रही थी और रॉकी मेरे चुचों से खेल रहा था। उसने मेरे एक चुचे को मुँह में और दूसरे को हथेली में लेकर मुझे पूरी तरह गर्म कर दिया।

वो अब मेरी पीठ को दबा कर मेरा मुँह अपने लन्ड के पास लाया। मैंने भी उसका लन्ड झट से मुँह में ले लिया और किसी लॉलीपॉप की भांति चूसने लगी। रॉकी आह भरकर रह गया।

कुछ देर लन्ड चुसाई के बाद रॉकी ने मुझे उठाया और अपने बिस्तर पर ले आया। मैं थोड़ी हैरान थी कि थोड़ी देर पहले जो चल भी नहीं पा रहा था वो मुझे उठाकर बेड पर ले आया। जब रॉकी से पूछा तो वो बोला- अगर यह बहाना नहीं बनाता तो क्या हम तुम इस हालात में होते?
यह सुनकर तो मैं उससे चिपट गयी और उसे चुम्बनों से नहला दिया।

वो भी जल्दी ही मेरी चूत तक पहुंच गया और अपनी जीभ से मेरी चूत का रसपान करने लगा। मेरी चूत की आंखें खुशी से छलक गयी और रॉकी उसके आँसू (रस) पूरा ही पी गया।

अब वो उठा और मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से ऊंचे उठाया और पोजिशन बनाकर मेरी चूत का बरसों का इंतजार खत्म किया।
अब रॉकी का मूसल मेरी फूल सी चूत की गहराई में उतर रहा था और भी उसके हर धक्के का उसी की तरह साथ दे रही थी।

आज मुझे असली लौड़े का अहसास अपनी चूत में हुआ था.

मेरी चुदाई चल रही थी, तभी मेरी मोबाईल पर कोई कॉल आया। पर मैंने उस कॉल से ज्यादा अपनी चुदाई में दिलचस्पी दिखाई। मैं ‘आह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… रॉकी और जोर से … आह मजा आ रहा है!’ आदि तरह की आवाजें निकाल रही थी।

मेरी चूत चोदते चोदते रॉकी भी हाँफ़ने लगा था। अब हम दोनों चर्मोत्कर्ष पर थे, बस होड़ थी कि पहले कौन झड़े. पर यह होड़ में आखिर में ही हार गई। मैं झड़ कर निढाल हो गयी।

अगले ही पल रॉकी के लन्ड ने भी अपना काम पूर्ण किया और वीर्य का एक फव्वारा निकला और मेरी चूत को लबालब कर गया। रॉकी मेरी ऊपर ही पसर गया और हाँफने लगा।

कुछ देर आराम करने के बाद जब घड़ी में समय देखा तो शाम के 5.30 बज रहे थे। मोबाईल में प्रभात का कॉल आया हुआ था।

मैंने वापस कॉल किया तो प्रभात ने बताया कि बाहर जोरदार बारिश चल रही है और अभी कोई ओटो टेक्सी नहीं मिल रही है तो आने में समय लगेगा।
यह सुनकर तो मैं और भी खुश हो गयी और प्रभात को कहा- आप कोई तरह की चिंता ना करें, मैं रॉकी भाईसाब का अच्छे से ख्याल रख रही हूं. और अब दर्द भी कम है.
तो प्रभात भी समझ गए कि कौनसा दर्द कम है।

जब मैंने रॉकी को बताया कि वे लोग देर से आयेंगे तो वो खुशी से उछल पड़ा।

मैंने खिड़की से बाहर झाँका तो बारिश अपनी गति से चल रही थी।

रॉकी बोला- चलो बाहर बारिश में नहाते हैं।
मैंने जल्दी से गाउन पहना और रॉकी ने सिर्फ पैंट और हम दोनों बारिश में नहाने लगे।

आज पहली बार बारिश में नहाने का भी अलग ही आनन्द आ रहा था। मैं और रॉकी बांहों में बांहें डाल कर फिल्मी स्टाइल में झूम रहे थे। बारिश में भीग कर मेरे चुचे गाउन में चमक रहे थे। जिसे देखकर रॉकी का पेंट भी तम्बू बना हुआ था।

आसपास के लोग हमें पति पत्नी समझ रहे थे और हम भी हद में ही थे।

जब नहाकर थक गए तो दोनों रूम में गए और बाथरूम में घुस गए। अब शावर के साफ पानी में साथ में ही नहाने के लिए दोनों ने अपने कपड़े अपने बदन से अलग किये। अब हम दोनों फिर से जन्मजात नंगे थे।

शावर लेते हुए हमने चुदाई का एक और दौर चलाया। इस बार रॉकी ने मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा। मैं सुबह से तीसरी बार चुद रही थी तो अब मेरी चूत ने जवाब दे दिया था। मैं थक कर चूर हो गयी थी।
रॉकी भी 8-10 मिनट में झड़ गया और मेरे से अलग हो गया।

अब हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने और रॉकी ने रूम सर्विस को चाय का बोला।

थोड़ी देर हमने इधर उधर की बातें की। बाहर बारिश लगभग बन्द सी हो गयी थी। पहाड़ी इलाका होने से झरनों की आवाजें आ रही थी।

इतने में वेटर चाय और बिस्किट ले आया। हमने साथ बैठ कर चाय पी और मूड बहलाने के लिए बाहर निकले।

बाहर का नजारा देखकर तो डर गए। बारिश ने तो बाहर तबाही मचा रखी थी। जहाँ तहाँ पेड़ गिरे हुए थे और ट्रैफिक का भी बुरा हाल था। लगता था कि जो तूफान अभी अभी रॉकी के रूम में आया था, उससे भी बड़ा तूफान बाहर आया होगा।

हमें प्रभात और निक्कू (रॉकी की वाईफ) की टेंशन होने लगी। रॉकी ने अपनी वाईफ को कॉल किया पर उसे नेटवर्क की वजह से कॉल नहीं लगा तो मैंने प्रभात के नंबर पर कॉल किया।
प्रभात ने बताया कि बारिश की वजह से रास्ता बंद हो गया है जो सुबह से पहले नहीं खुल सकता है। हम दोनों सुरक्षित हैं और एक होटल में रूम लेकर रात बिता लेते हैं. सुबह रास्ता खुलते ही लौट आएंगे।

यह सुनकर रॉकी थोड़ा टेंशन में दिखा.
तो मैंने कारण पूछा।
रॉकी बोला- प्रभात और निक्कू अकेले वहाँ?
तो मैं बोली- जब मैं आपके साथ यहाँ अकेली हूँ तो क्या उनका हक नहीं बनता? और वो दोनों समझदार हैं, अपना फैसला खुद ले सकते हैं. जस्ट चिल्ड यार!
और मैंने रॉकी के लन्ड को दबा दिया।

रॉकी समझ गया और मेरे चुचों से खेलने लगा।
मैंने उसे रोका- अब यह सब रात को आराम से करेंगे। अब मुझे भूख लग रही है।

रॉकी ने मोबाइल में टाइम देखा तो रात के 8.00 बज रहे थे। हमने होटल के ही रेस्तरां में खाना आर्डर किया और फ्रेश होकर रेस्तरां में चले गए।

करीब आधा घंटा में खाना आया, हमने खाया तब तक नौ बज चुके थे।

रॉकी बोला- तुम रूम में जाओ, मैं अभी आता हूँ।

मैं रॉकी के रूम में चली गयी और पूरी नंगी होकर अपने मोबाइल में अन्तर्वासना खोल कर सेक्सी कहानी पढ़ने लगी।

करीब बीस मिनट बाद रॉकी दो आइसक्रीम लेकर आया। मुझे नंगी देखकर वो खुश हो गया और आइसक्रीम साइड रखकर मेरे ऊपर ही चढ़ गया।

मैंने उसे दूर हटाया और एक आइसक्रीम उसे पकड़ाई और एक खुद खाने लगी। आइसक्रीम का स्वाद थोड़ा अजीब लग रहा था पर मैंने इग्नोर किया और पूरी आइसक्रीम खत्म की।

कुछ ही देर में मेरी चूत में अंगारे भड़कने लगे। तब तक रॉकी भी नंगा हो गया था। मैंने सीधा रॉकी के लन्ड में हाथ डाला। उसका लन्ड भी कुछ ज्यादा कड़क लग रहा था तो मैंने रॉकी से वजह पूछी।
रॉकी बोला- आइसक्रीम में मैंने सेक्सवर्धक दवा मिलाई थी. अब तुझे चुदने में मुझे चोदने में दुगना मजा आएगा।

अब रुकना मेरी सहनशक्ति से बाहर था। मैंने रॉकी को खींच के बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई। रॉकी का लण्ड अपने हाथ से ही अपनी चूत में सेट करके पूरा अंदर ले लिया.

इस बार चूत को भी कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी।
अब मैं होश में नहीं थी मैं रॉकी को गालियां बकने लगी- मादरचोद, पहले नहीं ला सकता था यही आइसक्रीम … भोसड़ी के बहुत मज़ा आ रहा है तेरा लौड़ा लेकर। काश तू मेरा पति होता तो मैं रोज तुझसे ही चुदवाती। तेरी पत्नी बहुत किस्मत वाली है जो उसे इतना मोटा लौड़ा मिलता है।

रॉकी- रण्डी … आज ले ले तेरी जिंदगी का आनन्द … मिटा ले अपनी चूत की खूजली! पूरे कर ले अपने अरमान और मुझे भी निहाल कर दे। साली निक्कू को चोद चोद कर पक गया था। आज तेरी चूत को जी भर कर चोदूंगा मेरी रानी।

इन्ही बातों के साथ रॉकी मेरी चूत की माँ बहन एक कर रहा था और मेरे नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रहा था।

15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं दो बार झड़ चुकी थी पर रॉकी अभी भी लगा हुआ था।
अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से चूत में धमाचौकड़ी मचा दी।

करीब आधा घंटा बाद सब वह स्खलित हुआ. तब तक मेरी चूत का पकोड़ा बन चुका था। पर उसका लन्ड फिर भी अच्छा लग रहा था। रॉकी ने चुदाई पूरी करके लन्ड बाहर निकाला. तब चूत के दर्द का कुछ अहसास हुआ पर इस परम आनन्द के आगे वो दर्द कुछ भी नहीं था।

फिर मैं बाथरूम गयी औऱ फ्रेश होकर रॉकी के साथ नंगी ही सो गई।

सुबह जब दरवाजे पर दस्तक हुई तो हमारी आंख खुली और जल्दी से कपड़े पहन कर मैंने ही दरवाजा खोला।
बाहर प्रभात और निक्कू खड़े थे।

घड़ी में समय देखा तो 10.30 बज रहे थे। थकावट में कब दिन निकला पता ही नहीं चला। मुझे प्रभात से तो प्रॉब्लम थी ही नहीं … पर निक्कू से आंख मिलाना मुश्किल हो रहा था.
पर कुछ यही हाल निक्कू का देख कर मैंने राहत की सांस ली।
Publicado por killercpl
5 años atrás
Comentarios
3
o para publicar comentarios
anik9910
anik9910 3 años atrás
Come inbox mere se BH I chudwa lo
Responder
sexykinkyboy
sexykinkyboy 3 años atrás
wow
Responder
mysteriousroy
mysteriousroy 5 años atrás
Maza aa gaya per prabahat aur nikku ka bh hota toh aur badhiya kahani banti yeh
Responder