Yaxanika

मेरा नाम यवनिका है और मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे उपहार पसंद हैं।

मेरे एक अमीर प्रेमी ने मुझे यह ब्रा खरीद कर दी ! मुझे बस इतना करना था कि उसे और उसके एक दोस्त को एक साथ ही अपने को चोदने दूँ !

मेरे एक अन्य प्रेमी ने मुझे एक कार खरीद कर दी ! बदले में उसे क्या मिला? उसे अनुमति मिली कि वो एक लम्बे, धीमे मुखमैथुन के बाद मेरे चेहरे पर अपना ढेर सारा वीर्य गिरा सके !

मेरी उम्र छब्बीस साल है और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, दो साल पहले मेरी शादी हुई लेकिन हमने अभी बच्चा नहीं किया है। मैं एक बहुत चुदक्कड़ किस्म की औरत हूँ, मुझे चुदाई का बहुत बहुत बहुत बहुत शौक है, लगभग हर रात अपने पति को नहीं छोड़ती। अगर रात को बिस्तर में पति मुझे छुए न, छेड़े न, तो मुझे मजा नहीं आता। उनका था तो छोटा मगर फिर भी मैं खेल खेल में मजा लेकर चुदती।

मैं अन्तर्वासना पर अपनी सबसे पहली चुदाई लेकर हाज़िर हूँ।

मुझे शादी से पहले ही चुदने का चस्का लग गया था, मुझे बड़े-बड़े लौडों से चुदने की आदत थी। मेरी चूत के अंदर पहला लौड़ा ही बहुत बड़ा घुसा था, लिखारी नाम के बन्दे से मेरा चक्कर चल निकला, तब मैं ग्यारहवीं में थी। वो एक बिज़नसमैन था, उसका काफी बड़ा बिज़नस था, एक से एक कारें थी। मैंने उसे पहली बार देखा एक काफी शॉप में ! मैं अपनी सहेली माधुरी के साथ वहाँ गई थी, उसके बॉयफ्रेंड ने हम दोनों को काफी पिलाने के लिए बुलाया था।

मैं बहुत खूबसूरत हूँ, एक-एक अंग तराश तराश कर बनाया है रब्ब ने ! तब तो मैं और भी जवान थी, माधुरी का बॉयफ्रेंड मुझ पर फ़िदा था, वो बहाने से मेरे साथ वक़्त बिताना चाहता था। माधुरी को वो पहले ही भोग चुका था, उसके पल्ले उसने कुछ नहीं छोड़ा था, माधुरी एक क्लास में फेल होकर दो बार कर रही थी, उसका ध्यान लड़कों के ऊपर रहता था, उसको तो नए-नए लड़कों का शौक था, राहुल अब उससे बोर होने लगा तो मेरी तरफ रुख किया।

काफी-शॉप में मेज़ के नीचे से राहुल का पाँव मेरी टांगों पर था और वो ऊपर मुझे देख मुस्कुरा देता, उसने मुझे आंख भी मार डाली, मुझे समझ आ गई। पर वहाँ से निकलते में लिखारी से टकरा गई, स्लेटी रंग के सूट में काली रेबॉन लगा वो कोई हीरो से कम नहीं लग रहा था।

तब तक मेरी चूत कुंवारी थी, अभी किसी का लौड़ा नहीं खाया था, उसने अपनी रेबॉन उतार कर मुझे कातिल नज़रों से देखा, मेरी आँखें भी उसकी आँखों में डल गई- आई एम सॉरी !

कोई बात नहीं ! इट्स ओके !

बोला- मेरा नाम लिखारी है।

मेरा नाम यवनिका है !

बोला- आपसे टकरा कर अच्छा लगा !

और मुस्कुराने लगा।

मैंने भी मुस्कुरा दिया- मज़ाक अच्छा करते हैं आप !

लेकिन अब नहीं कर रहा मज़ाक ! आप बहुत खूबसूरत भी हो !

इतने में माधुरी मुझे देखने वापिस अंदर आई, वो राहुल को छोड़ने गई थी, यवनिका चलो ! जाना नहीं है क्या?

हाँ ! हाँ ! चलो !

वो बोला- यवनिका जी, बुरा ना माने तो मैं आप दोनों को छोड़ दूँ !

आप हमें ?

हाँ, मैं ! क्यूँ डर लगता है?

नहीं जी ! माधुरी बोली- डर कैसा?

माधुरी चालू माल थी।

लेकिन लिखारी बोला- चलो !

जब हम दोनों ने उसकी गाड़ी देखी तो देखते ही रह गए।

मैं आगे बैठ गई, माधुरी पीछे, मैंने उसको रास्ता बताया लेकिन कहा- घर से काफी पहले उतार देना, वरना लोग लाख बातें करने लगते हैं !

यह मेरा कार्ड ! इस पर मेरा नंबर है, पर्सनल है ! यवनिका जी, मुझे आपके फ़ोन का इंतज़ार रहेगा !

उस दिन से लिखारी से फ़ोन पर मेरी कई कई बार देर तक बातें होने लगी। हम प्यार करने लगे, करीब आ गए।

मुझे उसने मुझे कॉलेज से बंक कर मिलने के लिए कहा। जब मैंने माधुरी को कहा तो वो बोली- ज़रूर जा बन्नो ! फिर देखना, तुझे पता चल जाएगा कि जवानी का रस क्या होता है,!

मैं मान गई।

वो बोला- ठीक दस बजे उसी काफी हाउस में मिलते हैं, जहाँ टकराए थे, चाहता हूँ कि वहीं मिलें !

मैंने कहा- ग्यारह बजे !

मैंने पहला लेक्चर लगाया और निकल गई, हमने एक साथ काफी पी, उसने मेरा हाथ पकड़ का चूमा और मुझे कहा- आई लव यू !

मैंने भी फ़ोन पर तो कहा था, आज सामने बैठ कह दिया। मेरा एक लेक्चर मिस हुआ उसको भी अर्जंट मीटिंग आ गई।

कुछ दिन बाद उसने मुझे कहा कि आज वो मुझे मिलना चाहता है होटल प्रेसीडेंसी में ! बोला- वहाँ मेरा एक कमरा बुक रहता है।

सब काम एक तरफ़ रख मैं होटल प्रेसीडेंसी की काफीशॉप में पहुँच गई, बहुत बड़ा पाँच सितारा होटल था शहर का।

काफीशॉप से हम लिफ्ट के ज़रिये पांचवीं मंजिल पर गए और वहाँ से सीधे कमरे में !

कमरे में जाकर मैं थोड़ी घबरा गई थी लेकिन बहुत खूबसूरत कमरा था। उसने वहीं पर काफी आर्डर की। उसके बाद दरवाज़ा बंद हो गया, उसने मुझे बाँहों में ले लिया।

यह पहली बार था कि मैं किसी की बाँहों में गई थी।

उसने मेरे स्तन दबाने शुरु कर दिए।

यह क्या कर रहे हो?

बोला- प्यार ! आज सिर्फ प्यार ! ना कोई मीटिंग ! कोई लेक्चर नहीं !

मध्यम लाल रंग की रोशनी में वो मुझे प्यार करने लगा।

तभी रूम सर्विस वाले ने दरवाज़ा खटकाया, उसके हाथ में ट्रे थी, उसमें शेम्पेन की बोतल थी, दो ग्लास, एक बियर !

लाओ दे दो और जाओ ! अभी और कुछ नहीं !

उसने मुझे अपने पास बिठाया और शेम्पेन दो ग्लासों में डाली और मुझे तोहफे में हीरे की एक खूबसूरत अंगूठी पहनाई।

मुझे ग्लास पकडाया।

मैं नहीं पीती !

डार्लिंग, यह इश्क का हिस्सा है ! इसमें नशा नहीं होता !

मैं कुछ कुछ जानती भी थी, उसके कहने पर मैंने जाम खींचा, अगले में उसने मिक्स कर दी, कुछ बियर कुछ वो !

दस मिनट के अंदर मुझे नशा होने लगा, पहली बार पी थी, उसने पीज़ा मंगवा लिया, साथ साथ हमने जाम भी पिए।

मुझे तो काफी नशा होने लगा।

तो उसने मुझे बाँहों में उठा लिया, मेरा दिमाग काम कर रहा था मगर शरीर सुन्न था।

उसने मेरी टॉप उतार दी, काले रंग के की ब्रा में कैद मेरे दो मस्त मम्मे देख वो मस्त होने लगा। उसने मेरी ब्रा की हुक भी खोल दी। मेरे दोनों कबूतर आज़ाद हो चुके थे।

वो उनको दबाने लगा। फिर एक चुचूक मुँह में लिया, दाल के दाने जितने मेरे गुलाबी चुचूक को चूसने लगा।

मैं मचल उठी !

उसने अपनी जुबां के करतब दिखाए। मैं पागल होकर उसके साथ लिपटने लगी।

उसने कब मेरी जींस खोली, पता नहीं लगा !

और फिर उसने मुझे कूल्हे ऊपर करने को कहा और जींस उतार फेंकी। काली पैंटी में मेरी दूध जैसी जांघों को देख उसका दिमाग घूमने लगा। वो पागलों की भान्ति मेरी मखमली जांघें चूमने लगा। मैं सिमटती जा रही थी।

उसने अपनी शर्ट उतारी, घने बालों में उसकी चौड़ी छाती उसकी मर्दानगी का सबूत दे रही थी। पहली बार मैं बिस्तर में लड़के के साथ थी। वो भी नये नये तरीकों से मेरा सेक्स भड़काने लगा। उसने अपनी जींस भी उतारी, उसका अंडरवीयर तंबू बन चुका था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और उस पर रख दिया- सहलाओ इसको !

उसने मेरी पैंटी खींच दी।

मैंने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढक लिया, शर्म से लाल हो गई मैं !

क्या हुआ रानी? देखने दो ना अपनी सुरंग का रास्ता ! देखो राही रास्ता देखने के लिए खड़ा हो चुका है।

आप बहुत शरारती हो !

यह राही बहुत खराब है !

उसने मेरे होंठों पर होंठ टिका दिए, झुकते हुए अपने होंठों से मेरी चूत के होंठ चूम लिए, अपनी जुबान के करतब यहाँ भी दिखाने लगा।

मुझे तो समझ नहीं आ रही थी कि क्या करूँ।

फिर वह खड़े होते हुए अपने लौड़े को हिलाने लगा- आओ चूम लो इस राही को !

नहीं !

यह क्या? मैंने भी तो चूत को चूमा था, अपने होंठ खोलो मेरी जान ! अपना लौड़ा मेरे होंठों पर रखते हुए बोला- लो रानी ले लो इसको मुँह में !
फिर उसने खड़े होते हुए अपने लौड़े को हिलाने लगा आओ चूम लो इस राही मैं नशे में थी, मैंने उसका मुँह में ले लिया, तब मेरे दिमाग में माधुरी की बातें आई। वो कहती थी कि उसके बॉयफ्रेंड उससे लौड़ा चुसवाते हैं, फिर चोदते हैं। और एक दिन माधुरी ने मुझे अपने मोबाइल पर उसके बॉयफ्रेंड द्वारा उसका लौड़ा चूसने वाला एक क्लिप दिखाया भी था।

मैं थूक लगा लगा कर चूस रही थी।

चूसो जान !

मैंने चूसना शुरु किया !

और चूसो !

मैं उसको पूरा मुँह में लेती, निकालती, मुझे मजा आने लगा। खूब मजा आया तो मैंने शर्म उतार फेंकी। फिर तो बस !

उसका इतना बड़ा लौड़ा था !

उसने कहा- चल टांगें फैला कर लेट जा !

नहीं ! कहते हैं बहुत दर्द होता है, खून भी निकलता है।

डार्लिंग यह कौन सी घर की चादर है? और यह सब तो होता ही है। चल ऐसा करते हैं, एक एक जाम लेते हैं।

उसने इस बार पूरा बियर का ग्लास पकड़ा दिया और पीने के बाद बोला- चल !

मैंने टांगें फैला दी, उसने अपना लौड़ा चूत पर टिकाया।

मैं नशे में थी, फिर भी डर रही थी।

उसने धीरे धीरे करते हुए पहले उसका अगला भाग घुसाया। मैं उछल पड़ी।

उसने मुझे अब जकड़ लिया और थूक लगा और घुसा दिया, मेरे होंठों पर हाथ रख दिया और एक तेज झटका लगाया।

मैं मानो मर गई- हाय !

लेकिन वो नहीं रुके और करते चले गए। कुछ देर में जब मुझे आनंद का एहसास हुआ तो उन्होंने अपना हाथ हटाया। अब मेरे होंठों पर मुस्कान और मस्ती थी, मेरे कूल्हे खुद उठने लगे।

कैसा लगा रानी? बहुत मजा आ रहा है ना?

और करो !

सच्ची माधुरी अक्सर इसकी बातें करती थी।

मेरे चुचूक चूसते चूसते उन्होंने मुझे जम कर चोदा, बोले- घोड़ी बनोगी? वो क्या बस घुटनों के बल तुझे और मजा आएगा !

मुझे तब क्या पता था, पहली बार में ही इतने करतब दिख ही रहे थे, जब मैं झटके खा रही थी तो नीचे मेरे मम्मे हिलने लगे तो वो पकड़ कर दबाने लगे। करीब चालीस मिनट की जदोजेहद के बाद उनका निकला।

पहली बार ही सेक्स के इतने रंग दिखा दिए। उसके बाद जब दिल करता, हम होटल में चले जाते।

होश उस दिन उड़े जिस दिन मुझे पता चला कि मेरे पेट में उनका बच्चा रुक गया है।

मैंने उनको बताया तो बोले- साफ़ करवाना होगा ! इतनी जल्दी यह सब?

मुझे अपनी बना लो ! शादी कर लो !

लेकिन तू अभी बच्चा जनने के लिए उम्र में छोटी है, जान को खतरा हो सकता है, मैं नहीं चाहता कि इसकी वजह से मेरी जान को कुछ हो जाए, बच्चे फिर भी हो सकते हैं।

उसके बाद से हम बहुत कम मिलने लगे, वो बिज़नस में लगे थे या फिर उनका दिल भर गया था।

इधर मेरी चूत में जो चिंगारी छोड़ी थी, वो अब आग में तबदील हो चुकी थी। कई साधन थे, जवान थी लड़कों की कैसी कमी !

एक दिन राहुल ने मुझे फ़ोन किया, उसका जन्मदिन था। माधुरी उन दिनों अपनी मौसी के पास गई हुई थी, शाम को पार्टी थी उसके फ़्लैट में ! वो अकेला रहता था, पढ़ने आया था, उनका एक फ़्लैट खाली था। सर्दी के दिनों वहीं रुकता था।

मेरे अलावा कुछ और क्लासमेट्स आई, सभी लड़के पीने लगे, साथ सनैक्स वगैरा थे।

सभी जाने लगे तो राहुल बोला- रुक ना ! तुम तो रुको ! मेरे साथ डिनर करो ! तुम माधुरी की ख़ास सहेली हो, मेरी ख़ास साली हो।

उसने मुझे बियर का मग देते हुए कहा।

नहीं, यह नहीं !

प्लीज़ समझो ! लिखारी भाई के साथ वहां भी तो पीती हो !

तुम्हें कैसे पता?

मैंने तुम दोनों को होटल में देखा था। और सर्विसबॉय को य्ह सब कमरे में ले जाते हुए !

हम दोनों अकेले थे फ़्लैट में। बियर पीते ही मेरा सर घूमने लगा, लगता था उसमें विस्की मिलाई थी।

मैं डिनर मंगवाता हूँ !

उसने फ़ोन पर पास से खाना मंगवा लिया। मुझे नशा चढ़ने लगा, मैं उठने लगी, एकदम कदम लड़खड़ाये तो उसने संभाल लिया।

मुझे घर लौटना है !

उसने मुझे बाँहों में कस लिया और होंठों पर होंठ टिका दिए- अब इसमें से पिला कर नशा दुगना कर दो यवनिका ! बहुत मरता हूँ तेरे पर, तेरी जवानी पर !

राहुल मेरे होंठ चूसने लगा और उसका हाथ मेरे टॉप में जा चुका था। मैं भी कई दिनों की प्यासी थी, उससे लिपट गई।

उसने मेरा टॉप उतारा, फिर जींस, फिर ब्रा, फिर पैंटी, खुद भी नंगा हो गया।

इतने में दरवाजे पर घण्टी बजी। उसने तौलिया लपेटा और खाना ले लिया, उसको पैसे दिए, दरवाज़ा बंद करके मुझे बाँहों में लेकर बिस्तर में गिर गया, मेरे दोनों मम्मो को चूसने लगा।

उसने मेरे हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया। काफी बड़ा लौड़ा था उसका भी !

मैंने सहलाया और फिर चूसने लगी। उसने भी 69 में होकर मेरी चूत पर होंठ लगाए और चूसने लगा। मेरे दाने को जब रगड़ता, मैं मर मिट जाती। कुछ देर में उसने मुझे लिटाया और मुझ पर सवार होने लगा। उसका लौड़ा मेरी चूत में था और मैं चुद रही थी।

आधा घंटा उसने मुझे जम कर पेला, फिर शांत हुए, नशा उतर गया, बोला- तुमने मुझे इतना मस्त गिफ्ट दे दिया !

माधुरी नहीं देती?

सच बताऊँ? उसे मत कहना ! उसमें अब कुछ नहीं बचा ! ना जाने कितनो से किया है उसने ! तुम भी नहीं जानती ! छोड़ उसको !

खाना खाया, कपड़े दरुस्त किये, घर लौट आई। मुझे चुदाई का चस्का लग गया, मेरा ध्यान अब लड़कों में रहता, सोचती इसका कैसा होगा? वैसा होगा?

फिर मेरा आवा तब उता जब मुझे घर में लौड़ा मिलने लगा।
Published by baabloo
11 years ago
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